Aalhadini

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The Train... beings death 8

तभी नीरज ने उस सन्नाटे को चीरते हुए डॉ शीतल से सवाल किया, "डॉ शीतल...!! डॉ शीतल...!!"
 शीतल अपनी ही सोच में डूबी हुई थी.. जिसके कारण उसे नीरज की आवाज का होश ही नहीं रहा था। रोहित ने भी पुकारा, "मैडम..!!"
 अचानक शीतल का ध्यान टूटा, "हां.. हां.. सॉरी... मैं कुछ सोच रही थी.. बताइए..!!"
 नीरज ने कहना शुरू किया, "मैडम कल जब हम उस घटनास्थल पर थे.. तब मैंने एक बात गौर की थी.. वहां पर जब मैं और कदंब सर ही थे.. तब वहां एक अजीब सा धुआं इकट्ठा होने लगा था। धुएं के कारण वहां का माहौल बहुत ही ज्यादा अनकंफरटेबल सा हो गया था।"
 तभी इंस्पेक्टर कदंब ने भी हड़बड़ाहट में अपने सिर को सहलाते हुए कहा, "हां.. हां.. जब हम उस घटना स्थल पर पहुंचे थे.. और हमने अपनी जीप रोकी थी.. तब भी वहां मुझे कुछ अजीब सा दिखाई दिया था। जो एक ही पल में धुआं बन कर गायब हो गया था.. मुझे लगा कि वो मेरा वहम था पर अब नीरज की बात सुनकर लगता है कि वो वहम नहीं हो सकता। लेकिन यह समझ में नहीं आ रहा कि वह चीज थी  क्या..??"
जैसे-जैसे वहां पर खुलासे हो रहे थे.. उन चारों की टेंशन बढ़ती  ही जा रही थी।  ऐसी रूम में भी उन लोगों को बहुत ही ज्यादा घबराहट अनुभव हो रही थी। जिसके कारण उनका बीपी भी बड़ा हुआ था। जिस हिसाब से आजकल घटनाएं हो रही थी.. उस हिसाब से कुछ बहुत ही बड़ा घटने वाला था.. और यह सब लोग समझ नहीं पा रहे थे कि जो भी होने वाला था उसके पीछे का कारण क्या हो सकता था।  अभी तक तो लोग केवल गायब हो रहे थे.. पर अब इन हालातों में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखना कदंब को बहुत ही मुश्किल लग रहा था। 
कदंब ने घबराते हुए शीतल से कहा, "डॉक्टर क्या आप इन केसों के बारे में और भी डिटेल स्टडी करके हमें बता सकते हैं??  क्योंकि मुझे लगता है जितना हमें दिखाई पड़ रहा है.. मामला उससे भी बहुत ज्यादा गंभीर है..!!"
 डॉ शीतल ने कहा, "हां इंस्पेक्टर कदंब.. मुझे भी लगता है कि हमें इन सारे फैक्टस् को एक बार फिर से.. शुरू से देखना होगा.. और हर एक छोटी बात पर नजर रखनी होगी।  मुझे लगता है कोई एक ऐसी कड़ी है जो हमसे छूट रही है।"
 रोहित ने भी उनकी हां में हां मिलाई। तब नीरज ने जल्दबाजी में कहा, "डॉक्टर.. अभी उस घटना को बहुत ज्यादा टाइम नहीं हुआ है.. हम वही जाकर फिर से एक बार इन्वेस्टिगेट कर सकते हैं.. हो सकता है.. हमें कोई ऐसी बात पता चल जाए.. जिससे हमें इस केस में आगे बढ़ने कोई क्लू मिल जाए।"
 ऐसा कहते हुए नीरज ने इंस्पेक्टर कदंब की तरफ देखा। इंस्पेक्टर कदंब ने भी नीरज की का समर्थन किया। उन्होंने भी कहा, "मेरे हिसाब से नीरज बिल्कुल ठीक कह रहा है.. हमें उस जगह पर जाकर.. फिर से एक बार जांच पड़ताल करनी चाहिए।"
 ऐसा कहकर वह अपनी कुर्सी से उठ खड़े हुए। डॉ शीतल ने कुछ सोचते हुए रोहित की तरफ देखा और कहा, "ठीक है.. इंस्पेक्टर मुझे लगता है कि आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। सबसे पहले हमें उसी जगह जाकर पता लगाना चाहिए.. हो सकता है.. कोई ऐसी बात पता चल जाए.. जो इन सब को खत्म करने के लिए हमारी मदद कर सके।"
 ऐसा कहकर वह चारों के चारों केबिन से बाहर निकल गए। रिसेप्शन पर शीतल ने रिसेप्शनिस्ट से कहा, "मैं किसी केस के सिलसिले में रोहित के साथ बाहर जा रही हूं.. हो सकता है, मुझे आने में देर हो जाए या यह भी हो सकता है कि मैं आज ना आ पाऊं.. किसी को भी कोई भी रिपोर्ट.. तब तक  मत देना.. जब तक मुझसे बात ना हो जाए।"
 रिसेप्शनिस्ट ने "हां.." कहा..
  तब शीतल, रोहित और उन दोनों पुलिस वालों के साथ जल्दी लैब से बाहर निकल गई..वह लोग पुलिस की जीप में ही उस जगह जाने वाले थे।  रोहित ने अपने जरूरी सारे उपकरण और कागज रख लिए थे.. ताकि उस जगह पर कुछ भी संदिग्ध मिले तो उसे इकट्ठा कर सकें।
 जल्दी ही वह लोग वापस उसी जगह खड़े थे.. जहां रात को वो हादसा हुआ था। शीतल और रोहित ने वहां पर पड़े बाकी नमूनों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया। नीरज और कदंब भी सड़क के आसपास कुछ ढूंढने लगे।
 थोड़ा दूर जाने पर नीरज को कुछ अजीब से पैरों के निशान दिखाई पड़े थे। उसने जोर से चिल्लाते हुए सबको आवाज लगाइ, "सर.. डॉक्टर... रोहित यहां.. यहां देखो.. कुछ अजीब से पैरों के निशान हैं..!!"
 सभी लोग भागते हुए नीरज के पास पहुंचे वहां उन्होंने एक विचित्र से डायनासोर जैसे पंजों के निशान देखे थे। जो काफी छोटे दिखाई दे रहे थे.. वो निशान किसी छोटे डायनासोर के पंजों जैसे ही थे.. पर उन निशानों को देखकर यह बताया नहीं जा सकता था कि वह निशान सच में डायनासोर के ही है या किसी और जानवर के..??  पर इतना तो तय था कि वह बहुत ही अजीब से दिखाई दे रहे थे।
 पास ही के एक पेड़ पर डाॅ शीतल को कुछ अजीब सा दिखाई दिया। शीतल ने सबको बुलाकर वह पेड़ दिखाया.. शीतल ने कहा, "इंस्पेक्टर यह देखो.. यह शायद किसी जानवर का खून है..!"
 कदंब ने उस पर गौर किया.. तब तक शीतल ने रोहित को वहां से सैंपल कलेक्ट करने के लिए कह दिया था। जल्दी ही रोहित ने वहां से लगभग सारे सैंपल कलेक्ट कर लिए.. पर अभी भी उनके दिमाग में इस बात का खटका था कि इतने अजीब निशान किस जानवर के हो सकते थे??
तब तक थोड़ा थोड़ा अंधेरा हो चला था.. जब वो लोग आसपास ही खोजबीन कर रहे थे.. तब वह चारों अलग-अलग दिशाओं में ढूंढने लगे थे। अचानक शीतल को वहां अजीब सा धुआं इकट्ठा होता दिखाई दिया..  
धीरे-धीरे वह धुआं एक आकार लेने लगा था.. उस आकार को देखते ही डर के कारण शीतल की आंखें बहुत ही ज्यादा बड़ी हो गई थी। शीतल ने अपने पूरे कैरियर में उस तरह के जीव के बारे में ना तो पढ़ा था.. ना ही सुना था.. जब वह जीव लगभग शीतल के सामने आकर खड़ा हो गया.. तो शीतल उसे देखकर डर के कारण बेहोश ही होने वाली थी।
 कि तभी नीरज की नजर उस जीव पर पड़ गई.. डर के कारण नीरज की आवाज ही नहीं निकल रही थी।  उसे समझ नहीं आ रहा था कि डॉ शीतल की मदद करने के लिए कैसे जाएं.. उसने डॉक्टर को आवाज देना भी चाहा पर उसके मुंह से आवाज ही बाहर नहीं निकली। 
अचानक नीरज का दिमाग काम किया और उसने इंस्पेक्टर कदंब को कॉल लगाने के लिए फोन जेब से निकाला.. पर घबराहट के कारण फोन हाथ से नीचे गिर गया और फोन की स्क्रीन टूट गई।  जल्दबाजी में ऐसा ही कुछ होता है पर अब क्या करें??
 जल्दी से उसने वह फोन उठाया तो उसकी स्क्रीन टूटी देखकर नीरज को और भी तेज गुस्सा आया.. दूसरी तरफ वो विशालकाय जीव धीरे-धीरे शीतल की तरफ आगे बढ़ रहा था.. और शीतल पीछे सरक रही थी।
 तभी शीतल का ध्यान नीरज की तरफ गया तो उसने बेबसी से नीरज को मदद करने के लिए देखा।नीरज ने भी पलकों को झपकाकर शांत रहने का इशारा किया। नीरज ने एक पत्थर उठाकर इंस्पेक्टर कदंब की तरफ फेंका.. पत्थर के गिरते ही कदंब और रोहित की नजर उस तरफ गई तो उनकी आंखे फटी की फटी रह गई.. सामने था वो प्राणी जो शायद उन्होंने देखा था। 

वह एक बहुत बड़े डायनासोर जैसा दिखाई देने वाला था। उसका मुंह गाय के समान था.. पर ना उस पर आंखें थी, ना ही कान.. ना ही नाक.. केवल मुंह था.. जो उसने खोल रखा था। पूरे मुंह में केवल दांत ही थे.. बड़े-बड़े पैने चाकू जैसे। अगर किसी को गलती से भी वह दांत छू लें.. तो उसके शरीर से  मांस भी बाहर निकाल लाए। एक बड़ी सी लप-लपाती हरी-काली जीभ.. जो इतनी लंबी थी की दो मीटर दूर रखी वस्तु को भी वहीं से पकड़ कर खींच ले। शरीर डायनासोर के जैसा ही था.. हरे रंग का छोटा सा पर इतना तो बड़ा था कि बैठने पर भी डॉक्टर शीतल से ऊंचा दिख रहा था.. उसके छह हाथ और पैर थे। 

उस अजीब जानवर को देखते ही सभी को चक्कर आने लगे थे। इतना अजीब और डरावना के सांसे भी भूल गई थी कि उन्हें चलना भी होता है.. 

 वह अजीब जानवर धीरे धीरे डॉ शीतल की तरफ बढ़ रहा था..  तब सब ने मिलकर एक दूसरे को इशारा किया और एक साथ चिल्ला दिए.. जिसके कारण उस जानवर की का ध्यान डॉ शीतल से हटकर बाकी सब पर आ गया था।

 नीरज का फोन नीरज के हाथ में ही था.. जिस पर अचानक से एक कॉल आ गई थी।  जिसके कारण फोन की फ्लैश लाइट जल गई थी.. उसका रिफ्लेक्शन डॉ शीतल के पहने चश्मे में दिखने लगा था..जैसे ही लाइट का रिफ्लेक्शन चश्मे में दिखाई दिया.. वैसे ही उस अजीब जानवर ने अपने पैर पीछे सरकाने शुरू कर दिए।

 उन लोगों को यह समझ में नहीं आया कि अचानक वह जानवर एकदम से पीछे क्यों हटने लगा। पर जैसे ही कॉल कट हुआ कांच में रिफ्लेक्शन दिखना बंद हो गया और वह जानवर फिर से डॉ शीतल की तरफ बढ़ने लगा।  धीरे धीरे वह शीतल की तरफ के पास पहुंच ही गया था कि फिर से फोन बज उठा.. फोन बजने के कारण सभी लोग हैरान-परेशान से एक दूसरे की तरफ देख रहे थे। जल्दी  ही उनके के समझ में आ गया कि शायद टॉर्च के रिफ्लेक्शन के कारण वह जानवर धीरे-धीरे पीछे हट रहा था।

 नीरज ने बाकी तीनों को इशारा किया और सभी ने ही एक साथ अपने अपने फोन बाहर निकालें और उनके टॉर्च जला दिए। टॉर्च के तेज उजाले के कारण..  वो जानवर धीरे धीरे पीछे सरका और एकदम से धुआं हो गया।

 उसके ऐसा करते ही सभी ने थोड़ा राहत की सांस ली और दौड़ कर डॉ शीतल के पास पहुंचे। डॉ शीतल जो इस समय आंखें बंद किए.. अपने मौत की राह देख रही थी।  जब सभी लोगों ने उसके पास पहुंचकर.. उसे हिलाया तो डॉ शीतल को होश आया।

 वह घबराकर अपने आप को देख रही थी.. हैरान-परेशान, पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ, सांसे अस्त व्यस्त.. शायद डॉ शीतल अपने आप को जिंदा पाकर थोड़ा रिलैक्स्ड महसूस कर रही थी।  सभी ने उनके पास जाकर उन्हें पूछा, "डॉ शीतल..!! आप ठीक तो है..?? उस जानवर ने आपके साथ कुछ किया तो नहीं..?? आपको कोई चोट तो नहीं आई??" 

डॉ शीतल ने भी अपने आप को संभालते हुए कहा, "हां आप लोग चिंता मत करें.. मैं बिल्कुल ठीक हूं.. शायद भगवान नहीं चाहते कि मैं इतना जल्दी मरूं..!!"  डॉ शीतल ने उन सब के चेहरे इतने ज्यादा टेंशन में देखकर माहौल को थोड़ा हल्का करने की सोचते हुए कहा। 

डॉ शीतल ने फिर कहा, "मुझे लगता है यह जो कुछ भी हुआ है.. उसके पीछे इसी जानवर का हाथ होगा.. पर इस तरह का कोई भी जानवर अभी तक अपने कैरियर में मैंने नहीं देखा..!!"

 रोहित भी हैरान परेशान होकर कहने लगा, "मैडम मैंने कल जो रिपोर्ट बनाई थी.. उसके हिसाब से भी कोई अजीब जानवर ही यह सब कुछ कर रहा था।  हो सकता है जो कुछ भी कल हुआ था इसी जानवर ने किया हो।"

 इंस्पेक्टर कदंब और नीरज को भी उनकी बात ठीक लगी। उन्होंने भी उसकी हां में हां मिलाई। इंस्पेक्टर कदंब ने कहा, "वह तो ठीक है.. शीतल जी..! पर इस जानवर से छुटकारा कैसे पाएंगे? मुझे लगता है सबसे पहले इसी पर रिसर्च करने की जरूरत है..! क्योंकि जिस तरह का यह दिख रहा था.. अगर शहर के लोगों को पता चला तो संभालना मुश्किल हो जाएगा। फिलहाल तो मैं कमिश्नर साहब से बात करके नाइट कर्फ्यू लगवाने की कोशिश करूंगा.  क्योंकि यह चीज जो भी थी वह अंधेरे में ही दिखाई दी है.. अगर दिन में दिखी होती किसी को तो.. अभी तक कहीं ना कहीं से यह खबर हम तक पहुंच गई होती।"

 शीतल ने उनकी बात का हां में जवाब दिया और सब लोग अपने अपने ऑफिस की तरफ निकल गए। इंस्पेक्टर ने पहले डॉ शीतल और रोहित को फॉरेंसिक लैब छोड़ा और नीरज के साथ पुलिस स्टेशन के लिए निकल गए।






क्रमशः.

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5 Comments

Punam verma

26-Mar-2022 03:06 PM

बहुत ही बढ़िया , आपने कहानी को अलग अलग मोड़ बना कर बहुत मस्त बना दिया । और भी उत्सुकता बढ़ गयी अगले भाग की ।

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अच्छा तो शहर में जो घटना घटी, उसके पीछे ये राज था 🤔 इंट्रेस्टिंग!! वैसे इसकी कमजोरी भी काफ़ी मस्त ढूंढी है आपने 😂 अगले भाग में जब इसके और चिंकी के बारे में और जानकारी मिलेगी तो और मजा आएगा 😍😍 चिंकी कैसे अपने घर पहुंचेगी, शहर पर से कैसे खतरा टलेगा और उन आत्माओ को कैसे मुक्ति मिलेगी, प्रिया और चिंकी का आखिरी मिलन भी मस्त होगा।👏👏

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Sana khan

01-Sep-2021 06:03 PM

Waaah kya baaat hy

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